होना तो ये चाहिए के "हिजाब" कोई बहस का मुद्दा होना ही नही चाहिए, ना इस पर चर्चा की जानी चाहिए। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी राय क्या है, स्कूल की कार्रवाई न केवल धार्मिक अधिकारों को कम कर रही है बल्कि किसी व्यक्ति की पसंद की स्वतंत्रता के दिल पर भी प्रहार कर रही है।


इन लड़कियों को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे मुस्लिम हैं इसलिए नहीं कि हिजाब प्रतिगामी है। यह किसी उच्च निति आधार या अनुशासनात्मक मानक पर आधारित कार्रवाई नहीं है, यह शुद्ध तिरस्कार से निकलती है।


व्यक्तियों को नियंत्रित करने, उन्हें लक्षित करने और उन्हें अलग-थलग करने की एक घातक की शुरुवात है। जो पहले खान पान से हुई और क्या पहनें या पहने उस पर आ गई है। अभी पसंद की योग्यता में आने के लिए अधिकारों के दावे की लड़ाई को पटरी से उतारना है।


हर कोई ये अस्तित्व की लड़ाई को राजनीति का रुप देना चाह रहा है। बिना सोचे के साथ देने वालों की सोच भले ही खराब हो पर आवाज़ जिसने उठाई है ये उसके अस्तित्व का सवाल है!!! क्या अपने हक और अस्तित्व के लिए कहना गलत है नए भारत में?? चुप रहो वरना राजनीति हो जाएगी??


आज आप इस पर चुप होने कह रहे हो कल इस बात का कौन आश्वासन दे सकता है कल ये शॉपिंग मॉल, गार्डन या अन्य पब्लिक जगह पर लागू नहीं होगा?? आप कुछ राजनेताओं को राजनीति देख कह देते हो के ये सब प्रोपोगंडा है पर सच तो ये है के सच से नज़र फेर लेने वो बदल नही जाता..!!! #HijabIsOurPride


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